कपालभाति करने का तरीका और लाभ |
कपालभाति दो शब्दों कपाल और भाति से मिलकर बना हुआ है। जहां कपाल का मतलब माथा या सिर(head) और भाति का मतलब प्रकाश या चमक (lighting) से है। यह ऐसा प्राणायाम है जिसमें व्यक्ति को सांस खींचने और सांस को छोड़ने की प्रक्रिया के बीच समन्वय बिठाना पड़ता है। अगर इस प्राणायाम को बिल्कुल सही तरीके से किया जाए तो यह शरीर के मांसपेशियों को अधिक सक्रिय बनाता है जिसके परिणामस्वरूप मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। इसके अलावा यह श्वसन अंगों को भी सही तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। इस आर्टिकल में हम आपको कपालभाति प्राणायाम करने का तरीका, कपालभाति करने के फायदे और कपालभाति प्राणायाम करते समय बरतें सावधानियां के बारे में बताएंगे।
Kapalbhati कपालभाति प्राणायाम को नियमित करने वाले व्यक्तियों के शरीर से उसकी मानसिक एवं शारीरिक परेशानियां दूर हो जाती है। इसे व्यक्ति प्रत्येक बार सांस छोड़ते समय आसानी से महसूस भी कर सकता है। कपालभाति करना बहुत ही आसान होता है और प्रत्येक व्यक्ति इसे बैठकर कर सकता है। इसे करने के बाद व्यक्ति को एक अनूठी और आत्मिक शांति महसूस होती है। इस प्राणायाम को करने वाला व्यक्ति ही सिर्फ इसके फायदों को महसूस कर सकता है।
कपालभाति प्राणायाम करने का तरीका
- अपने पैरों को मोड़कर फर्श पर एकदम सीधे होकर बैठ जाएं। अपनी पीठ को बिल्कुल सीधे रखें और अपनी आंखें बंद कर लें।
- अब अपनी दाएं हाथ की हथेली को दांये घुटने पर और बाएं हाथ की हथेली को बांए घुटने पर आराम से रखें।
- गहरी सांस खींचे और फिर पूरे दबाव के साथ सांसों को छोड़ें। दबाव सिर्फ इतना ही दें कि सांस छोड़ते समय आपका पेट भी अंदर की तरफ चला जाए।
- जब आप सांस छोड़ने लगते हैं तो अपने सांसों की आवाज को सुनते हुए यह सोचें कि आपके शरीर की सारी बीमारियां नाक के रास्ते बाहर निकल रही हैं।
- जब सांस खींच रहे हैं तो इसपर कोई दबाव न दें। सांस खींचने में आपको जोर भी नहीं लगाना है, बस हर बार सामान्य तरीके से ही सांस लें।
- पांच मिनट तक लगातार इस प्रक्रिया को दोहराएं और फिर थोड़ी देर आराम लें। इस प्राणायाम को आप पंद्रह से तीस मिनट तक भी कर सकते हैं।
- कपालभाति प्राणायाम को बहुत तेज गति से न करें। इसे बिल्कुल आराम से करें और बार-बार करें।
कपालभाति प्राणायाम करने के फायदे
यह प्राणायाम नियमित करने से व्यक्ति हर तरह के स्ट्रेस, डिप्रेशन, चिंता एवं मानसिक तनाव से मुक्त रहता है और उसका मन भी प्रसन्न रहता है। इसके अलावा यह प्राणायाम मन और दिमाग को शांत रखता है और व्यक्ति में आत्मविश्वास जगाता है।
कपालभाति प्राणायाम करने से शरीर को ऊष्मा मिलती है और व्यक्ति के चेहरे पर प्राकृतिक निखार आता है और चेहरा चमकने लगता है।
यह प्राणायाम करने से व्यक्ति की पाचन क्रिया सुचारू रूप से काम करती है और यकृत एवं किडनी भी अपना काम सही तरीके से करने लगती है। इसके अलावा आंत से जुड़ी समस्या भी दूर हो जाती है।
यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से कपालभाति प्राणायाम करता है तो उसके आंखों में तनाव कम उत्पन्न होता है जिससे की आंखों के आसपास डार्क सर्कल नहीं पड़ते हैं और यदि यह समस्या होती भी है तो इस प्राणायाम को करने से दूर हो जाती है।
कपालभाति प्राणायाम करने से महिलाओं की प्रजनन क्षमता ठीक रहती है और यह सेक्स के दौरान उत्तेजना पैदा करने में भी काफी मददगार होता है। इसके अलावा यह महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की भी समस्या को कम करता है।
कपालभाति प्राणायाम करते समय बरतें सावधानियां
जैसा कि हम सभी को मालूम है कि यदि किसी भी योगा या प्राणायाम को सही तरीके से न किया जाए या जब शरीर में कुछ ऐसी बीमारियों हो जो इस प्राणायाम को करने में बाधा उत्पन्न करें तो कपालभाति प्राणायाम को नहीं करना चाहिए।
अगर आप हृदय रोग के मरीज हैं तो कपालभाति प्राणायाम करते समय सांसें बिल्कुल हल्के से छोड़ें या फिर आप यह प्राणायाम ना करें। यह प्राणायाम जब भी करें खाली पेट ही करें।
अगर कोई महिला गर्भवती है तो उसे कपालभाति प्राणायाम करने से बचना चाहिए।
अपने पूरे स्वास्थ्य की जांच कराने के बाद कपालभाति प्राणायाम को डॉक्टर की देखरेख में करें। अगर आपको मिर्गी आती हो तो यह प्राणायाम न करें।
यदि महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान इस प्राणायाम को करने में असुविधा महसूस हो रही हो तो महिलाएं इस प्राणायाम को अपने उन दिनों में ना करें।
इसके अलावा यदि आपको अल्सर और गैस्ट्रिक से संबंधिक दिक्कतें हो तो इस प्राणायम से परहेज करें।
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