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Saturday, November 17, 2018

वृक्षासन कैसे करें



वृक्षासन | Vrikshasana | Tree Pose



वृक्ष- पेड़, आसान


यह आसन से वृक्ष की शांत एवं स्थिर अवस्था को दर्शाता हैI अन्य योगासनों के विपरीत इस आसन में हमे अपने शरीर के संतुलन को बनाये रखने के लिए आंखे खुली रखनी पड़ती हैंI
  • हाथों को बगल में रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ।
  • दाहिने घुटनें को मोड़ते हुए अपने दाहिने पंजे को बाएँ जंघा पर रखेंI आपके पैर का तलवा जंघा के ऊपर सीधा एवं ऊपरी हिस्से से सटा हुआ हो।
  • बाएँ पैर को सीधा रखते हुए संतुलन बनाये रखें।
  • अच्छा संतुलन बनाने के बाद गहरी साँस अंदर लें, कृतज्ञता पूर्वक हाथों को सर के ऊपर ले जाएँ और नमस्कार की मुद्रा बनाएंI
  • बिल्कुल सामने की तरफ देखें, सीधी नज़र सही संतुलन बनाने में अत्यंत सहायक हैI
  • रीढ की हड्डी सीधी रहे I आपका पूरा शरीर रबर बैंड की तरह तना हुआ होI हर बार साँस छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोडते जाएँ और विश्राम करें, मुस्कुराते हुए शरीर और साँस के साथ रहेंI
  • धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए हाथों को नीचे ले आयेंI धीरे से दाहिने पैर को सीधा करेंI
  • सीधे लम्बे खड़े हो जाए बिल्कुल पहले की तरहI अब बाएँ तलवे को दाहिने जांघ पर रख कर आसन को दोहराएंI
वृक्षासन के लाभ | Benefits of Vrikshasana
  • इस आसन को करने के पश्चात आप ऊर्जा से परिपूर्ण महसूस करते हैं। यह आसन पैर, हाथों और बाजुयों की मांस-पेशियों में खिंचाव पैदा करता है और आपको पुनः तरो-ताज़ा कर देता है।
  • यह मस्तिष्क में स्थिरता और संतुलन लाता हैI
  • एकाग्रता बढ़ाने में सहायक हैI
  • यह आसन पैरों को मजबूती प्रदान करता है एवं संतुलन बनाने में सहायक हैIजांघो के फैलाव में भी सहायक हैI
  • नसों की दर्द में अत्यंत सहायक हैI
वृक्षासन की सावधानियां | Contraindications of Vrikshasana

  • अगर आप माइग्रेन, अनिंद्रा, अल्प या उच्च रक्तचाप से पीड़ित है तो यह आसन न करेंI (उच्च रक्तचाप वाले इस आसन को हांथो को सर के ऊपर ले जाए बिना कर सकते हैंI हांथो को ऊपर ले जाने से रक्तचाप बढ़ सकता है।

पश्चिम नमस्कार आसन



यहाँ पर पश्चिम शब्द दिशा की ओर न संकेत कर पीछे की ओर के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।

पश्चिम नमस्कारासन या पीछे की ओर का नमस्कार, शरीर के ऊपरी भाग को मजबूत करता है और मुख्यतः भुजाओं और पेट पर काम करता है। इसे विपरीत नमस्कारासन भी कहते हैं।

पश्चिम नमस्कारासन की विधि | How to do Paschim Namaskarasana
Reverse Prayer Yoga Pose - Paschim Namaskarasana Yoga Pose


  • ताड़ासन से प्रारम्भ करें।
  • अपने कंधो को ढीला रखे और अपने घुटनो को थोड़ा मोड़े।
  • अपनी भुजाओं को पीछे की ओर ले जाएँ और उँगलियों को नीचे की ओर रखते हुए अपनी हथेलियों को जोड़े।
  • सांस भरते हुए उँगलियों को रीढ़ की हड्डी की ओर मोड़ते हुए ऊपर करें।
  • ध्यान रखे कि आपकी हथेलिया एक दूसरे से अच्छे से सटी हुई और घुटने हल्का सा मुड़े हुए रहे।
  • इस आसन में रहते हुए कुछ साँसे लें।
  • सांस छोड़ते हुए उँगलियों को नीचे कि ओर ले आये।
  • भुजाओं को अपने सहज अवस्था में लें आये और ताड़ासन में आ जाएँ।

पश्चिम नमस्कारासन के लाभ | Benefits of the Paschim Namaskarasana

  • पेट को खोलता है जिससे गहरी साँसे लेना आसान होता है।
  • पीठ के ऊपरी हिस्से में खिचाव आता है।
  • कन्धों का जोड़ और छाती की मांसपेशियों में खिचाव लाता है।

पश्चिम नमस्कारासन के समय की सावधानियां |Contraindications of the Paschim Namaskarasana

  • निम्न रक्तचाप और भुजा या कन्धों में चोट वाले लोग इस आसन को करते समय सावधानी बरते।

जानुशीर्षासन | Janu sirsasana


जानुशीर्षासन करने की प्रकिया | How to do Janu sirsasana

  • पैरों को सामने की ओर सीधे फैलाते हुए बैठ जाएँ,रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।
  • बाएँ घुटने को मोड़े, बाएँ पैर के तलवे को दाहिनी जांघ के पास रखें, बायाँ घुटना ज़मीन पर रहे।
  • साँस भरें,दोनों हाथों को सिर से ऊपर उठाएँ, खींचे ओर कमर को दाहिनी तरफ घुमाएँ।
  • साँस छोड़ते हुए कूल्हों के जोड़ से आगे झुकें,रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए , ठुड्डी को पंजों की और बढ़ाएँ।
  • अगर संभव हो तो अपने पैरों के अंगूठों को पकडे,कोहनी को जमीन पर लगाएँ,अँगुलियों को खींचते हुए आगे की ओर बढ़े।
  • साँस रोकें। (स्थिति को बनाए रखें)
  • साँस भरें, साँस छोड़ते हुए ऊपर उठें,हाथों को बगल से नीचे ले आएँ।
  • पूरी प्रक्रिया को दाएँ पैर के साथ दोहराएँ।
जानुशीर्षासन के लाभ |Benefits of the Janu sirsasana

  • पीठ के निचले हिस्से का व्यायाम हो जाता है।
  • उदर के अंगों व् कन्धों का व्यायाम हो जाता है।

Friday, November 16, 2018

पूर्वोत्तानासन करने की प्रक्रिया











इस आसन का शाब्दिक अर्थ है - पूर्व दिशा की ओर खींचना, हांलाकि इसका पूर्व दिशा से कोई सम्बन्ध नहीं है।

पूर्वोत्तानासन मुख्यत: ललाट के पूर्वी भाग में सूक्ष्म प्राण ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाता है।

पूर्व - पूर्व दिशा + उत्तान - अधिकतम खिंचाव + आसन - मुद्रा।

This pose is pronounced as poorvah-uttanah-sanah


पूर्वोत्तानासन करने की प्रक्रिया | How to Practice the Purvottanasana

  • पैरों को सामने की ओर सीधा फैलाते हुए बैठ जाएँ, पैरों को साथ में रखें, रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
  • हथेलियों को जमीन पर रखें,कमर के पास या कन्धों के पास, उँगलियों के सिरे शरीर से दूर, बाजुओ को सीधा रखें।
  • पीछे की ओर झुकें और हाथों से शरीर के वजन को सहारा दे।
  • साँस भरें , श्रोणि को ऊपर उठाएँ, शरीर को सीधा रखें।
  • घुटनो को सीधा रखें,पाँव को ज़मीन पर टीकाएँ, पंजो को जमीन पर रखें ,ऐसा करने पर तलवा जमीन पर ही रहेगा,सिर को ज़मीन की ओर पीछे जाने दें।
  • इसी अवस्था में साँस लेते रहें।
  • साँस छोड़ते हुए वापस आएँ,बैठ जाएँ,विश्राम करें।
  • उँगलियों की दिशा को बदलते हुए मुद्राओं को दोहराएँ।
पूर्वोत्तानासन के लाभ |Benefits of the Purvottanasana
  • कलाइयों,भुजाओं, कन्धों,पीठ व् रीढ़ को मजबूती मिलती है।
  • पैरों व् कूल्हों का व्यायाम हो जाता है।
  • स्वसन प्रक्रिया में सुधार करता है।
  • आंतो व् उदर के अंगों में खिंचाव पैदा करता है।
  • थायरॉइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है।
पूर्वोत्तानासन के अंतर्विरोध |Contraindications of the Purvottanasana

  • क्योंकि इस आसन के दौरान पूरे शरीर का भार मुख्यतः कलाई व् हाथों पर आ जाता है इसलिए यदि आपकी कलाई पर चोट लगी हो तो यह आसन न करें। यदि आपकी गर्दन पर चोट लगी हो तो यह आसन बिल्कुल न करें|चोट की स्थिति में आप कुर्सी का सहारा ले सकते हैं।

वशिष्ठासन | Side Plank Pose

वशिष्ठासन | Side Plank Pose






ऋषि वशिष्ठ को भारतवर्ष के सबसे सम्मानीय संतो में से माना जाता है। ऋषि वशिष्ठ सप्तऋषि मंडल के एक ऋषि हैं। वे ऋग्वेद मंडल के सबसे प्रधान व मुख्य लेखक भी हैं।

ऋषि वशिष्ठ के पास एक गाय थी जिसका नाम कामधेनु था। उस गाय का एक बछड़ा था जिसका नाम नन्दिनी था। उस गाय के पास दैविक शक्तियाँ थी और उसने ऋषि वशिष्ठ को बहुत धनवान बना दिया था। इसलिए वशिष्ठ का वास्तविक अर्थ धनवान है।

यह आसन शरीर के ऊपरी हिस्से (छाती, पेट और कंधे) को मज़बूत बनाता है और उसमे स्थिरता लाता है।

वशिष्ठासन करने की प्रक्रिया। How to do Side Plank Pose (Vasisthasana)
  • दंडासन में आ जाएँ।
  • धीरे से अपने शरीर का सारा वज़न अपने दाएँ हाथ और पैर पर रखें। ऐसा प्रतीत होना चाहिए कि आपका बहिना हाथ और पैर हवा में झूल रहे है।
  • अपने बाहिने पैर को दाहिने पैर पर रखें और बाहिने हाथ को अपने कूल्ह पर रखें।
  • आपका दाहिना हाथ आपके कंधे के साथ होना चाहिए। ध्यान दे की वह आपके कंधे के नीचे न हो।
  • ध्यान दें कि आपके हाथ ज़मीन को दबाएँ और आपके हाथ एक सीध में हो।
  • साँस अंदर लेते हुए अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाएँ। ऐसा प्रतीत होना चाहिए की आपका हाथ ज़मीन पर सीधा खड़ा हुआ है।
  • अपनी गर्दन को अपने उठे हुए हाथ की तरफ मोड़ें और साँस अंदर और बहार करते हुए अपनी हाथों की उँगलियों को देखें।
  • साँस छोड़ते हुए अपने हाथ को नीचे ले आएँ।
  • धीरे से दंडासन में आ जाएँ और अंदर-बहार जाती हुई साँस के साथ विश्राम करें।
  • यही प्रक्रिया दुसरे हाथ के साथ दोहराएँ।

    वशिष्ठासन के लाभ । Benefits of the Side Plank Pose (Vasisthasana)
  • हाथों, कलाई व पैरों की मासपेशियों को मज़बूत बनाता है।
  • पेट की मासपेशियों को मज़बूत बनाता है।
  • शरीर में स्थिरता बनाता है।
वशिष्ठासन के अंतर्विरोध । Contraindications of the Side Plank Pose (Vasisthasana)
  • जिन लोगो को कलाई में कभी भी चोट लगी हो, वो यह आसन न करें। यदि किसी को कंधे अथवा कोहनी में चोट लगी हो, वो भी यह आसन न करें।

अधोमुख श्वान आसन को आसानी से करने के कुछ नुस्खे

अधोमुख श्वान आसन | Adho Mukha Svanasana




अधोमुख श्वान आसन योगासन

अधो सामने मुख – चेहरा स्वान / श्वान - कुत्ता

अधोमुख स्वान आसन एक कुत्ते (श्वान / स्वान) की तरह सामने की ओर झुकने का प्रतिकात्मक है इसलिए इसे अधोमुख स्वान आसन कहते हैं।

इस योगासन को करने की प्रक्रिया बहुत आसान है और कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसने योगाभ्यास करना शुरू ही किया है, यह आसान कर सकता है। यह योगासन अत्यंत लाभदायक है और इसे प्रतिदिन के योगाभ्यास में अवश्य जोड़ना चाहिए।
अधोमुख श्वान आसन करने की प्रक्रिया | 6 steps to do Adho Mukha Svanasana
  1. अपने हाथों और पैरों के बल आ जाएँ। शरीर को एक मेज़ की स्थिति में ले आयें। आपकी पीठ मेज़ की ऊपरी हिस्से की तरह हो और दोनों हाथ और पैर मेज़ के पैर की तरह।
  2. साँस छोड़ते हुए कमर को ऊपर उठाएं। अपने घुटने और कोहनी को मजबूती देते हुए सीधे करते हुए) अपने शरीर से उल्टा v-आकार बनाएं।
  3. हाथ कंधो के जितने दूरी पर हों। पैर कमर के दूरी के बराबर और एक दुसरे के समानांतर हों। पैर की उंगलिया बिल्कुल सामने की तरफ हों।
  4. अपनी हथेलियों को जमीन पर दबाएँ, कंधो के सहारे इसे मजबूती प्रदान करें। गले को तना हुआ रखते हुए कानों को बाहों से स्पर्श कराएं।
  5. लम्बी गहरी श्वास लें,अधोमुख स्वान की अवस्था में बने रहें। अपनी नज़रें नाभि पर बनाये रखें।
  6. श्वास छोड़ते हुए घुटने को मोड़े और वापस मेज़ वालीस्थिति में आ जाएँ। विश्राम करें।

  7. अधोमुख श्वान आसन को आसानी से करने के कुछ नुस्खे | Tips to do Adho Mukha Svanasana
  • यह आसन करने से पहले अपने पैर की मांसपेसियो और हाथों को अच्छी तरह से तैयार कर लें।
  • अधोमुख स्वान आसन करने से पहले धनुरासन या दण्डासन करें।
  • यह आसन सूर्य नमस्कार के एक अंश के रूप में भी किया जा सकता है।
  • अधोमुख श्वान आसन से पहले किये जाने वाले आसन | Preparatory asanas
  • धनुरासन | Dhanurasana
  • दण्डासन
  • अधोमुख श्वान आसन के बाद किये जाने वाले आसन | Follow up asanas
  • अर्धपिंचा मयुरासन
  • चतुरंग दण्डासन
  • ऊर्ध्व मुख श्वानासन (Urdhva Mukha Svanasana)
  • अधोमुख श्वान आसन के छः लाभ | Adho Mukha Svanasana benefits
  • यह आसन यह आसन शरीर को ऊर्जा देता है और आपको तारो-ताज़ा करता है।
  • यह आसन रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है । छाती की मांसपेसियो को मजबूती प्रदान करता है और फेफड़े की क्षमता को बढ़ाता है।
  • यह पूरे शरीर को शक्ति प्रदान करता है। विशेषकर हाँथ, कंधे और पैरों को।
  • मांसपेसियो को सुद्रिढ करता है और मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ाता है।
  • को शांति प्रदान करता है एवं सरदर्द, अनिंद्रा, थकान आदि में भी अत्यंत लाभदायक है।
अधोमुख श्वान आसन की सावधानियाँ | Contraindications of the Adho Mukha Svanasana
अगर आप उच्च रक्तचाप, आँखों की केशिकाएँ कमजोर है कंधे की चोट या दस्त से पीड़ित हैं तो यह आसन न करें /

Monday, November 12, 2018

मकरअधोमुख श्वानासन | Makara Adho Mukha Svanasana | Dolphin plank pose

मकरअधोमुख श्वानासन | Makara Adho Mukha Svanasana | Dolphin plank pose





पद्म– कमल, आसन—मुद्रा

मकरअधोमुख श्वानासन एक मध्यम स्तर का ताजगी प्रदान करने वाला योगासन है I यह आसन पेट की मांसपेसियो को पुष्टि प्रदान करता है I यह डॉलफिन आसन का एक और प्रकार हैI
मकरअधोमुख स्वान आसन कैसे करें | How to do Makara Adho Mukha Svanasana
  1. श्वानासन की स्तिथि में आ जाएँ और अपने शरीर के वजन को धीरे से आगे की ओर ले आयेंI
  2. कंधे कलाइयों के सीध में हों इसका ध्यान रखेंI
  3. धीरे से अग्र बांहों को जमीन से स्पर्श कराने तक नीचे ले आयें, इस समय आप की हथेलियां जमीन पर टिकी हुई होनी चाहिएI
  4. पैरों को सीधा रखते हुए अपनी एड़ी को पाँव का अंगूठे के सीध में ले आयेंI
  5. अपनी दृष्टी जमीन पर स्थिर रखते हुए कमर और घुटने सीधा रखेंI
  6. अगर संभव हो तो हथेलियां एक दुसरे की ओर होनी चाहिएI
  7. साँस लेते हुए पेट की मांसपेसियो को अंदर खीचें और छोड़ते हुए विश्राम प्रदान करेंI
  8. इसी स्थिती में कुछ देर साँस लेते रहें और छोड़ते रहेंI इसके पश्चात पुनः अधोमुख श्वानासन में वापस आ जाएँI
नौसिखियों के लिए मकरअधोमुख श्वानासन |Makara Adho Mukha Svanasana for Beginners

  1. नये नये योगाभ्यास आरम्भ करने वाले व्यक्ति यह आसन घुटनों के बल रह भी कर सकते हैंI शरीर के भार को सहारा देने के लिए सर के नीचे योगा ब्लॉक्स का उपयोग भी कर सकते हैंI
मकरअधोमुख श्वानासन के लाभ | Benefits of the Makara Adho Mukha Svanasana
  1. यह आसन सरदर्द, थकान और कमरदर्द में अत्यंत प्रभावशाली है I
  2. बाँहों और पैरों को मजबूती प्रदान करता है I
  3. पेट की मांसपेसियो को प्रदान करता है I
  4. पाचन क्रिया को संयोजित करता हैI
  5. स्त्रियों को मासिक धर्म में होने वाले पीड़ा को कम करने में सहायक है I
मकरअधोमुख श्वानासन के अंतर्विरोध | Contraindications of the Makara Adho Mukha Svanasana
आपको अगर कमर, गला या रीढ़ की हड्डी में दर्द हो या चोट लगी हो तो यह आसन किसी अनुभवी शिक्षक की देख-रेख में हीं करेंIhttps://amzn.to/2T4MawZ

अर्धमत्स्येन्द्रासन करने की प्रक्रिया

अर्धमत्स्येन्द्रासन | Ardha Matsyendrasana






अर्ध- आधा, मत्स्येन्द्र- मछलियों का राजा: मत्स्य - मछली, इंद्र- राजा।

'अर्धमत्स्येन्द्र' का अर्थ है शरीर को आधा मोड़ना या घुमाना। अर्धमत्स्येन्द्र आसन आपके मेरुदंड (रीढ़ की हड्डी) के लिए अत्यंत लाभकारक है। यह आसन सही मात्रा में फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है अथवा जननांगों के लिए अत्यंत ही लाभकारी है। यह आसन रीढ़ की हड्डी से सम्बंधित है इसीलिए इसे ध्यान पूर्वक किया जाना चाहिए।
अर्धमत्स्येन्द्रासन करने की प्रक्रिया |How to do Ardha Matsyendrasana
पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएँ, दोनों पैरों को साथ में रखें,रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।
बाएँ पैर को मोड़ें और बाएँ पैर की एड़ी को दाहिने कूल्हे के पास रखें (या आप बाएँ पैर को सीधा भी रख सकते हैं)|
दाहिने पैर को बाएँ घुटने के ऊपर से सामने रखें।
बाएँ हाथ को दाहिने घुटने पर रखें और दाहिना हाथ पीछे रखें।
कमर, कन्धों व् गर्दन को दाहिनी तरफ से मोड़ते हुए दाहिने कंधे के ऊपर से देखें।
रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।
इसी अवस्था को बनाए रखें ,लंबी , गहरी साधारण साँस लेते रहें।
साँस छोड़ते हुए, पहले दाहिने हाथ को ढीला छोड़े,फिर कमर,फिर छाती और अंत में गर्दन को। आराम से सीधे बैठ जाएँ।
दूसरी तरफ से प्रक्रिया को दोहराएँ।
साँस छोड़ते हुए सामने की ओर वापस आ जाएँ|
अर्धमत्स्येन्द्रासन के लाभ| Benefits of the Ardha Matsyendrasana
मेरुदंड को मजबूती मिलती है।
मेरुदंड का लचीलापन बढ़ता है।
छाती को फ़ैलाने से फेफड़ो को ऑक्सीजन ठीक मात्रा में मिलती है|

Sunday, November 11, 2018

तितली आसन के लाभ (बद्धकोणासन)

तितली आसन
तितली आसन | Butterfly asana 
बद्धकोणासन | Baddha konasana






बद्ध- नियंत्रित किया हुआ, कोंण - कोना, आसन - स्थिति ।

इस स्थिति को बद्ध-कोना-सन कहा जाता है।

इस मुद्रा को बद्धकोणासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें दोनों पावों के तलवों को जननांगों के पास,हाथों की मदद से जोर से पकड़ कर,एक विशेष कोण में साथ रखा जाता है। मुद्रा के दौरान पैरों की गति, तितली के हिलते पंखों कि भाँती प्रतीत होने की वजह से इसे तितली आसन भी कहा जाताहै। बैठ कर काम करते हुए मोची की तरह दिखने की वजह से इस मुद्रा को मोची मुद्रा भी कहा जाता है।
तितली आसन / बद्धकोणासन करने की प्रक्रिया | How to do Butterfly Pose (Baddha konasana)
पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएँ,रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।
घुटनो को मोड़ें और दोनों पैरों को श्रोणि की ओर लाएँ,पाँव के तलवे एक दुसरे को छूते हुए।
दोनों हाथों से अपने दोनों पाँव को कस कर पकड़ लें। सहारे के लिए अपने हाथों को पाँव के नीचे रख सकते हैं।
एड़ी को जननांगों के जितना करीब हो सके लाने का प्रयास करें।
लंबी,गहरी साँस ले, साँस छोड़ते हुए घुटनो एवं जांघो को फर्श की ओर दबाएँ।
तितली के पंखों की तरह दोनों पैरों को ऊपर नीचे हिलाना शुरू करें। धीरे धीरे गति बढ़ाएँ।
साँस लेते रहें।
जितना संभव हो उतनी तेज़ी से प्रक्रिया को करें| धीमा करते हुए रुकें,गहरी साँस ले,साँस छोड़ते हए आगे की ओर झुकें,ठुड्डी उठी हुई,रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।
कोहनी से जांघों या घुटनो पर दबाव डाले जिससे घुटने एवंजांघ जमीन को छुए।
जाँघो के अंदरुनी हिस्से में खिंचाव महसूस करें और लंबी गहरीसाँस लेते रहें।मांसपेशियों को अधिक विश्राम दें।
एक लंबी गहरी साँस ले और धड़ को ऊपर लाएँ।
साँस छोड़ते हुए धीरे से मुद्रा से बाहर आएँ,पैरों को सामने की ओर फैलाएं,विश्राम करें।
तितली आसन के लाभ (बद्धकोणासन) | Benefits of the Butterfly Pose (Baddha konasana)
जाँघो, कटि प्रदेश एवं घुटनो का अच्छा खिंचाव होने से श्रोणि एवं कूल्हों में लचीलापन बढ़ता है।
लम्बे समय तक खड़े रहने एवं चलने की वजह से होने वाले थकान को मिटाता है।
मासिक धर्म के दौरान होने वाली असुविधा एवं रजोनिवृति के लक्षणों से आराम।
गर्भावस्था के दौरान लगातार करने से प्रसव में आसानी।
तितली आसन के अंतर्विरोध | Contraindications of the Butterfly Pose (Baddha konasana)
यदि आप कटि प्रदेश या घुटने की चोट से पीड़ित हैं तो सहारे के लिए जांघो के नीचे कम्बल अवश्य रखें। बिना कम्बल के इस मुद्रा को बिलकुल न करें।
सियाटिका के मरीज़ इस मुद्रा को बिलकुल न करें या कूल्हों के नीचे गद्दी रखें।
यदि आपके पीठ के निचले हिस्से में तकलीफ है तो रीढ़ की हड्डी सीधी रखकर ही यह मुद्रा करें।

पद्मासन के लिए मुद्रा

पद्मासन | Padmasana
पद्मासन या कमल आसन बैठ कर की जाने वाली योग मुद्रा है जिसमे घुटने विपरीत दिशा में रहते हैं। इस मुद्रा को करने से मन शांत व् ध्यान गहरा होता हैं। कई शारीरिक विकारों से आराम भी मिलता है। इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से साधक कमल की तरह पूर्ण रूप से खिल उठता है, इसलिए इस मुद्रा का नाम पद्मासन है। चीनी व तिब्बती बौद्ध मान्यता में कमल आसन को वज्र आसन भी कहा जाता है।

पद्मासन करने की प्रक्रिया | How to do Padmasana


पैरों को सामने की ओर फैलाकर योगा मैट अथवा ज़मीन पर बैठ जाएँ, रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।
दाहिने घुटने को मोड़े और बहिनी जांघ पर रख दें, ध्यान रहे की एड़ी उदर के पास हो और पाँव का तलवा ऊपर की ओर हो।
अब यही प्रक्रिया दूसरे पैर के साथ दोहराएँ।
दोनों पैरों को मोड़ें, पाँव विपरीत जांघो पर,हाथों को मुद्रा स्थिति में घुटनो पर रखें।
सिर सीधा व् रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।
इसी स्थिति में बने रहकर गहरी साँस लेते रहें।

पद्मासन के लिए मुद्रा | Mudras for Padmasana

मुद्राएँ शरीर में ऊर्जा के संचार को बढ़ाती हैं और यदि पद्मासन के साथ किया जाये तो बेहतर परिणाम मिलते हैं। हर मुद्रा दूसरी मुद्रा से भिन्न है और उनसे होने वाले लाभ भी। पद्मासन में बैठ हुए चिन मुद्रा व चिन्मयी मुद्रा, आदि मुद्रा या ब्रह्म मुद्रा को अपनाकर आप अपने ध्यान में और गहराई ला सकते हैं। कुछ देर तक मुद्रा की स्थिति में रहते हुए, साँस ले व् शरीर में ऊर्जा के संचार को महसूस करें।

जो लोग पहली बार पद्मासन कर रहे हैं वो कैसे यह आसन करें ? | Padmasana for Beginners


यदि आपको दोनों पैरों को मोड़ कर पद्मासन में बैठने में परेशानी है तो आप अर्ध पद्मासन में बैठ सकते हैं,किसी भी पैर को विपरीत जांघ पर रखकर आप यह आसन कर सकते हैं।
पद्मासन करने के लिए शरीर में लचीलापन होना आव्यशक है। जब तक आपके शरीर में लचीलापन न आ जाए, तब तक अर्ध पद्मासन का ही अभ्यास करें।

पद्मासन के ५ लाभ | 5 Benefits of the Padmasana


पाचन क्रिया में सहायता करता है।
मांसपेशियों के तनाव को कम करता है व् रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
मन को शांति प्रदान करता है।
गर्भवती महिलाओं के प्रसव में सहायता करता है।
मासिक चक्र की परेशानी को कम करता है।

पद्मासन के अंतर्विरोध | Contraindications of the Padmasana

एड़ी व् घुटनो की चोट :इस मुद्रा को केवल अनुभवी शिक्षक की देखरेख में ही करें।

मार्जरासन करने की विधि

Marjariasana in Hindi | मार्जरासन

पालतू जानवर भी हमें योग की शिक्षा दे सकते हैं।  एक योगी की पारखी नज़र अपने चारों तरफ फैले संसार से भी ज्ञान अर्जित कर लेती है।  मार्जरी आसन बिल्ली के सामान खिंचाव का एक उत्कृष्ट उधारण है।
मार्जरी आसन = बिल्ली आसन

मार्जरासन करने की विधि | How to do Marjaryasana

  • अपने घुटनों और हाथों के बल आये और शरीर को एक मेज़ कई तरह बना लें अपनी पीठ से मेज़ का  ऊपरी हिस्सा बनाएं और हाथ ओर पैर से मेज़ के चारों पैर बनाएं।
  • अपने हाथ कन्धों के ठीक नीचे, हथेलियां ज़मीन से चिपकी हुई रखें और घुटनो मेँ पुट्ठों जितना अंतर रखें।
  • गर्दन सीधी नज़रें सामने रखें।
  • सास लेते हुए अपनी ठोड़ी को ऊपर कि ओर सर को पीछे की ऒर ले जाएँ, अपनी नाभि को जमीन की ऒर दबाएं और अपनी कमर के निचे के हिस्से को छत की ओर ले जाएँ. दोनों पुटठों को सिकोड़ लें।  क्या आप थोड़ा खिंचाव महसूस कर रहें हैं?
  • इस स्थिति को बनाएँ रखें ओर लंबी गहरी साँसें लेते और छोड़ते रहें।
  • अब इसकी विपरीत स्थिति करेंगे - साँस छोड़ते हुए ठोड़ी को छाती से लगाएं ओर पीठ को धनुष आकार मेँ जितना उपर होसके उतना उठाएं, पुट्ठों को ढीला छोड़दें।
  • इस स्थिति को कुछ समय तक बनाएँ रखें और फिर पहले कि तरह मेज़नुमा स्तिथि मेँ आ जाएँ।
  • इस प्रक्रिया को पाँच से छे बार दोहराएं और विश्राम करें।
  • श्री श्री योग विशेषज्ञ कि सलाह - जब यह प्रक्रिया हम धीरे और लय के साथ करते है तो इसका अधिक लाभ मिलता है और यह हमे ध्यान कि अवस्था तक ले जाता है।

 

मार्जरासन के फायदे | Benefits of Marjaryasana

  • रिड के हड्डी को लचीला बनाता है।
  • कंधों और कलाई कि क्षमता बढ़ाता है।
  • पाचन प्रक्रिया की ग्रंथियों की मालिश करता है।
  • पाचन प्रक्रिया सुधारता है।
  • पेट को सुडौल बनता है।
  • रक्त प्रवाह बढ़ाता है।
  • मन को शांत करता है।

मार्जरासन करने कि सावधानिया | Contraindication of the Marjaryasana

अगर आपके पीठ और गरदन मेँ दर्द है तो विशेषज्ञ की सलाह लें।  यह आसन आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षक के  सानिध्य मेँ करें।

उष्ट्रासन के लाभ

उष्ट्रासन | Ustrasana

"उष्ट्र" एक संस्कृत भाषा का शब्द है और इसका अर्थ “ऊंट” होता है। उष्ट्रासन को अंग्रेजी में “Camel Pose” कहा जाता है। उष्ट्रासन एक मध्यवर्ती पीछे झुकने-योग आसन है जो अनाहत (ह्रदय चक्र) को खोलता है। इस आसन से शरीर में लचीलापन आता है, शरीर को ताकत मिलती है तथा पाचन शक्ति बढ़ जाती है। उष्ट्रासन करने की प्रक्रिया और उष्ट्रासन के लाभ नीचे दिए गए हैं :
उष्ट्रासन करने की प्रक्रिया। How to do Ustrasana
अपने योग मैट पर घुटने के सहारे बैठ जाएं और कुल्हे पर दोनों हाथों को रखें।
घुटने कंधो के समानांतर हो तथा पैरों के तलवे आकाश की तरफ हो।
सांस लेते हुए मेरुदंड को पुरोनितम्ब की ओर खींचे जैसे कि नाभि से खींचा जा रहा है।
गर्दन पर बिना दबाव डालें तटस्थ बैठे रहें
इसी स्थिति में कुछ सांसे लेते रहे।
सांस छोड़ते हुए अपने प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।
हाथों को वापस अपनी कमर पर लाएं और सीधे हो जाएं।
शुरूआत में यह आसन किस प्रकार करें

अपनी सुविधा के लिए आप अपने घुटनों के नीचे तकिए का प्रयोग कर सकते हैं।
उष्ट्रासन के लाभ। Ustrasana benefits
पाचन शक्ति बढ़ता है।
सीने को खोलता है और उसको मज़बूत बनाता है।
पीठ और कंधों को मजबूती देता है।
पीठ के निचले हिस्से में दर्द से छुटकारा दिलाता है।
रीढ़ की हड्डी में लचीलेपन एवं मुद्रा में सुधार भी लाता है।
मासिक धर्म की परेशानी से राहत देता है।
किन किन स्थितियों में उष्ट्रासन नहीं करना चाहिए। Contraindications of the Ustrasana

या गर्दन में चोट, उच्च या निम्न रक्तचाप से ग्रस्त लोग यह आसन केवल एक अनुभवी शिक्षक के निगरानी में करें।
अनुवर्ती आसन। Follow-up Poses
उष्ट्रासन के बाद सेतुबंध आसन किया जा सकता है।

बालासन (शिशुआसन) करने की प्रक्रिया

बालासन | Balasana | Shishuasana
बाल का अर्थ है- शिशु या बच्चा, बालासन में हम एक शिशु की तरह वज्र आसन लेकर हाथों और शरीर को आगे की ओर झुकाते है। यह आसन बेहद आसान ज़रूर है मगर काफी लाभदायक भी है। कमर की मांसपेशियों को आराम देता है और ये आसन कब्ज़ को भी दूर करता है। मन को शांत करने वाला ये आसन तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।

बालासन (शिशुआसन) करने की प्रक्रिया | How to do Balasana
अपनी एड़ियों पर बैठ जाएँ,कूल्हों पर एड़ी को रखें,आगे की ओर झुके और माथे को जमीन पर लगाये।
हाथों को शरीर के दोनों ओर से आगे की ओर बढ़ाते हुए जमीन पर रखें, हथेली आकाश की ओर (अगर ये आरामदायक ना हो तो आप एक हथेली के ऊपर दूसरी हथेली को रखकर माथे को आराम से रखें।)
धीरे से छाती से जाँघो पर दबाव दें।
स्थिति को बनाये रखें।
धीरे से उठकर एड़ी पर बैठ जाएं और रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे सीधा करें। विश्राम करें।
बालासन के लाभ | Benefits of the Balasana
पीठ को गहरा विश्राम।
कब्ज से राहत दिलाता है।
तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।
बालासन के अंतर्विरोध | Containdications of the Balasana
यदि पीठ में दर्द हो या घुटने का ऑपरेशन हुआ हो तो अभ्यास न करें।
गर्भवती महिलाएं शिशु आसन का अभ्यास ना करें।
अभी आप दस्त से परेशान हो या हाल ही में ठीक हुए हो तो ये आसन न करें।

चक्कीचलनासन करने की प्रक्रिया

चक्कीचलनासन | Mill Churning Pose in Hindi


चक्की= आटे को पीसने की एक मशीन + चलाना+ आसन
इस आसन में भारतीय गावों में पाए जाने वाली, हाथों से चलाने वाली गेहूँ की चक्की को चलाने की नक़ल की जाती है। यह एक बहुत अच्छा व आनंदायक व्यायाम है।

चक्कीचलनासन करने की प्रक्रिया | How to do Mill Churning Pose

1
दोनों पैरों को पूरी तरह फैलाकर बैठ जाएँ, हाथों को पकड़ते हुए बाजुओं को कन्धों की सीध् में अपने सामने की ओर रखें।
2
लंबी गहरी साँस लेते हुए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को आगे लाएँ औरएक काल्पनिक घेरा/ गोला बनाते हुए दाहिनी ओर हिलाना शुरू करें।
3
साँस भरते हुए आगे और दाहिनी ओर जाएँ और साँस छोड़ते हुए पीछे एवं बहिनी ओर। आगे से दाहिनी ओर जाते हुए साँस भरें।
श्री श्री योग शिक्षक के सुझाव: निचले हिस्से में खिंचाव महसूस करें और पैरों को स्थिर रखें। धड़ के घूमने के कारण पैरों में हलकी गति स्वाभाविक है। बाजु पीठ के साथ घूमेगी।
4
घूमते हुए लंबी गहरी साँस लेते रहें। क्या आपको बाजुओं,उदर,कटि प्रदेश एवं पैरों में खिंचाव महसूस हो रहा है?
दिशा में 5 - 10 राउंड करने के बाद दूसरी दिशा में दोहराएँ।

चक्कीचलनासन के लाभ | Benefits of the Mill Churning Pose

  • सियाटिका रोकने में लाभप्रद
  • पीठ,उदर एवं बाजुओं की मांसपेशियों का व्यायाम हो जाता है।
  • छाती एवं कटि प्रदेश में फैलाव पैदा करता है।
  • महिलाओं की गर्भाशय की मांसपेशियों का व्यायाम,निरंतर अभ्यास से पीड़ादायमासिक चक्र से आराम मिलता है।
  • निरंतर अभ्यास से उदरीय वसा में कमी।
  • गर्भावस्था के दौरान जमा वसा को कम करने में बेहद कारगर। (इस मुद्रा को करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य ले लें)

चक्कीचलनासन के अंतर्विरोध । Contraindications of the Mill Churning Pose

निम्नलिखित स्थितियों में चक्कीचलनासन न करें
  • गर्भावस्था
  • कम रक्तचाप
  • पीठ के निचले हिस्से में अत्यधिक पीड़ा(स्लिप डिस्क की वजह से)
  • सिर दर्द, माइग्रेन
  • अगर सर्जरी (जैसे हर्निया)हुई हो।

सलंब भुजंगासन कैसे करना है



सलंब - समर्थित, भुजंग - नाग, आसन - मुद्रा

सलंब भुजंगासन (स्फिंक्स मुद्रा), भुजंगासन का संशोधित रूप है। सलंब भुजंगासन (स्फिंक्स मुद्रा) योग के शुरूआती अभ्यासार्थियों की सहायता के लिए एक संस्करण है। यह आसन उन लोगों के लिए भी अच्छा है जिनकी पीठ के निचले हिस्से में दर्द रहता है, क्योंकि इसमें कम घुमाव है, इसलिए यह रीढ़ की हड्डी पर दबाव को कम करता है।
सलंब भुजंगासन कैसे करना है | How to do Salamba Bhujangasana
पेट के बल लेट जाएँ, पैरों के पंजों को फर्श पर समान्तर रखें तथा माथे को ज़मीन पर विश्राम कराएँ।
पंजों और एड़ियों को हल्के से एक दूसरे को स्पर्श करते हुए अपने पैरों को एक साथ रखें।
हाथों को आगे तानें, हथेलियाँ ज़मीन की ओर तथा भुजाऐं ज़मीन को छूती रहें।
एक गहरी श्वास लें, धीरे से सिर, छाती और उदर को उठाएं जबकि नाभि फर्श से लगी रहे।
भुजाओं की सहायता से धड़ को जमीन से दूर पीछे की ओर खींचें।
सजगता के साथ श्वास लेते और छोडते रहें और धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी के हर हिस्से पर ध्यान ले जाएँ।
सुनिश्चित करें कि आपके पैर अभी भी साथ में हैं और सिर सीधा आगे की ओर है।
श्वास छोडते हुए, अपने उदर, छाती और फिर सिर को धीरे-धीरे जमीन की ओर नीचे लाएं।
सलंब भुजंगासन के लाभ | Benefits of the Salamba Bhujangasana
सलंब भुजंगासन रीढ़ की हड्डी को सशक्त करने में मदद करता है और पेट के अंगों को उत्तेज़ित (उद्धीप्त) करता है। यह छाती और कंधों में फैलाव लाता है। योग की इस मुद्रा से रक्त संचार में सुधार होता है एवं शरीर को तनाव से राहत मिलती है।
सलंब भुजंगासन के अंतर्विरोध | Contraindications of the Salamba Bhujangasana
यदि आप गर्भवती हैं, या आपकी पसलियाँ या कलाई अस्थि - भंग हो गई हों या हाल ही में आपके पेट का ऑपरेशन हुआ हो तो स्फिंक्स मुद्रा न करें।

सुपरमैन अवस्था या विपरीत शलभासन

सुपरमैन अवस्था या विपरीत शलभासन

ऊँचे आसमान में उड़ते सुपरमैन की अवस्था से प्रेरित यह विपरीत शलभ आसन है। इस वृतांत से ही इस आसन को अपना छोटा नाम मिला।

विपरीत: उल्टा / पलटा हुआ, शलभ - आसन.

यह आसन विशेष रूप से पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों को सशक्त करता है।
विपरीत शलभ आसन करने की प्रक्रिया | How to do Superman Pose (Viparita Shalabhasana)
अपने पेट के बल लेट जाएँ, अपनी एड़ियों को जमीन पर सीधा रखें, ठोड़ी को जमीन पर विश्राम दें।
अपने पैरों को एक दूसरे के पास लाएँ और पंजों को आपस में एक साथ रखें।
अब, अपने हाथों को सामने की ओर जितना हो सकता है, बाहर की ओर खींचे।
एक गहरी साँस लें और अपनी छाती, हाथों, पैरों व जांघों को जमीन से ऊपर उठाएँ। आप बिलकुल उड़ते हुए सुपर हीरो की तरह लग रहे हैं – सुपर मैन ! अपने चेहरे पर मुस्कान लाएँ – सुपर हीरो हमेशा खुश रहते हैं, विशेषतः उड़ते समय। अपने हाथों और पैरों को ज्यादा ऊपर उठाने के प्रयास के स्थान पर उन्हें विपरीत दिशा में खींचने का आसान प्रयत्न करें। शरीर के दोनों विपरीत भागों में लग रहे खिंचाव को महसूस करें। इस बात का ध्यान रखें कि आपकी कोहनियाँ और एडियाँ मुड़ी हुई न हो।
सजगता पूर्वक साँस लेते रहें, अपना ध्यान शरीर में हो रहे खिंचाव की ओर रखें।
जब आप साँस छोड़ें तब अपनी छाती, हाथों और पैरों को धीरे से नीचे लाएँ।

विपरीत शलभ आसन की विशेषताएँ | Benefits of the Superman Pose (Viparita Shalabhasana)
यह आसन छाती, कन्धों, हाथों, पैरों, पेट और पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
पेट तथा पीठ के निचले हिस्से को बेहतर करता है।
रीढ़ की हड्डी की मालिश करता है और पीठ को मजबूत बनाता है।
छाती में खिंचाव पैदा करता है।
रक्त प्रवाह को अच्छा करता है।
यह मानसिक स्तर पर भी कार्य करता है – जब आप उठतें हैं तब आप वर्तमान अवस्था में रहते हैं। अगर आप चाहें तो भी किसी समस्या को सोच नहीं सकते हैं।
यह, पेट के लिए एक अच्छा व्यायाम हो सकता है.

पद्मसाधना की प्रक्रिया में, भुजंगासन के बाद, विपरीत शलभ आसन पांचवां आसन है।
विपरीत शलभ आसन के अंतर्विरोध | Contraindications of the Superman Pose (Viparita Shalabhasana)
यदि जल्द ही पेट की शल्य क्रिया हुई हो तो यह आसन न करें।
गर्भवती महिलाएं, इस आसन को न करें।

शलभासन : प्रक्रिया और लाभ

शलभासन योग करते समय शरीर का आकार शलभ (Locust) कीट की तरह होने से, इसे शलभासन(Locust Pose) कहा जाता हैं। कमर और पीठ के मजबूत करता है और पाचन क्रिया को सुधारता है। शलभासन करने की प्रक्रिया और लाभ नीचे दिए गए हैं :
शलभासन करने की प्रक्रिया | How to do Salabhasana
  • साँसअंदर लेते हुए अपना दायाँ पैर उठाएँ। पैर को सीधा रखें। ध्यान दे कि कूल्हे पर झटका न आये।
  • रोकें (स्थिति को बनाये रखें) और साँस लेते रहे।
  • साँस छोड़ें और अपने दाएँ पैर को नीचे रखें।
  • प्रक्रिया अपने बाएँ पैर के साथ दोहराएँ। २-३ गहरी लंबी साँसे लें।
  • दोनों हाथों की मुठ्ठी बनाकर अपने जंघा के नीचे रख दे।
  • साँस अंदर लेते हुए और दोनों घुटनों को सीधा रखते हुए, कुछ गति के साथ दोनों पैरों को जितना हो सकता है उतना उपर उठाएँ।
  • रोकें (स्तिथि को बनाये रखें)
  • साँस छोड़े, अपने दोनों पैरों को नीचे लाएँ, दोनों हाथों को नीचे से हटा लें और विश्राम करें।
  • दूसरे कदम पर हाथों को नीचे रखते हुए पूर्ण प्रक्रिया दोबारा से दोहराएँ।
  • शलभासन करने के लाभ | Benefits of the Salabhasana

    • यह आसन पीठ की मज़बूती व लचीलापन बढ़ाता है।
    • हाथों और कन्धों की मज़बूती बढ़ाता है।
    • गर्दन और कन्धों कि नसों को आराम देता है व मज़बूत बनाता है।
    • पाचन क्रिया को सुधारता है व पेट के अंगो को मज़बूत बनाता है।

नौकासन के लाभ

नौका = Boat, आसन = Posture or Pose
इस आसन में नौका के समान आकर धारण किया जाता है, इसलिए इसे नौकासन कहा जाता है।
नौकासन करने कि प्रक्रिया | How to do Naukasana
  • पीठ के बल लेट जाएँ और दोनों पैरों को एक साथ जोड़ लें। दोनों हाथों को शरीर के साथ लगा ले।
  • एक लंबी गहरी साँस लें और साँस छोड़ते हुए हाथों को पैरों कि तरफ खींचे और अपने पैरों एवं छाती को उठाएँ।
  • आपकी आँखें, हाथों कि उंगलियाँ व पैरों कि उंगलियाँ एक सीध में होनी चाहिए।
  • पेट की मासपेशियों के सिकुड़ने के कारण नाभी में हो रहे खींचाव को महसूस करें।
  • लंबी गहरी साँसे लेते रहे और आसन को बनाये रखें।
  • साँस छोड़ते हुए, धीरे से ज़मीन पर आ जाएँ और विश्राम करें।
यह आसन पद्मसाधना का भी अंग है।  पद्मसाधना के दौरान इसे धनुरासन पश्चात् किया जाता है।

नौकासन के लाभ | Benefits of the Naukasana

  • कमर व पेट कि मासपेशियों को मज़बूत बनाता है।
  • हाथों व पैरों को मज़बूत बनाता है और सही आकार देता है।
  • हर्निया के रोगियों के लिए लाभकारी।

इस स्थिति में नौकासन न करें | Contraindications of the Naukasana

  • यदि आपको कम रक्त चाप, अधिक सरदर्द, माइग्रेन अथवा कभी भी पीठ से सम्बंधित कोई भी समस्या हुई हो तो यह आसन न करें।
  • अस्थमा व दिल के मरीज़ यह आसन न करें।
  • महिलाएँ यह आसन गर्भावस्था व मासिक धर्म के पहले दो दिन के दौरान न करें।

मत्स्यासन करने के लाभ

यदि यह आसन पानी में किया जाये तो शरीर मछली कि तरह तैरने लग जाता है, इसलिए इसे मत्स्यासन कहते हैं।
मत्स्यासन करने कि प्रक्रिया | How to do Matsyasana
  • कमर के बल लेट जाएँ और अपने हाथों और पैरों को शरीर के साथ जोड़ लें।
  • हाथों को कूल्हों के नीचे रखें, हथेलियां ज़मीन पर रखें। अपनी कोहनियों को एक साथ जोड़ ले।
  • सांस अंदर लेते हुए, छाती व सर को उठाएँ।
  • अपनी छाती को उठाएं, सर को पीछे कि ओर लें और सर की चोटी को ज़मीन पर लगाएँ।
  • सर को ज़मीन पर आराम से छूते हुए, अपनी कोहनियों को ज़ोर से ज़मीन पर दबाएं, सारा भार कोहनियों पर डालें, सर पर नही। अपनी छाती को ऊँचा उठाएं। जंघा और पैरों को ज़मीन पर दबाएँ।
  • जब तक हो सके, आसन में रहें, लंबी गहरी सांसें लेते रहें। हर बहार जाती सांस के साथ विश्राम करें।
  • सर को ऊपर उठाएँ, छाती को नीचे करते हुए वापस आएं। दोनों हाथों को वापस शरीर के दायें-बायें लगा लें और विश्राम करें।

मत्स्यासन करने के लाभ | Benefits of the Matsyasana

  • गर्दन व छाती में खिंचाव पैदा करता है।
  • गर्दन और कन्धों कि मासपेशयों को तनाव मुक्त करता है।
  • सांस से सम्बंधित समस्याओं का निवारण करता है और गहरी लंबी सांस लेने में मदद करता है।
  • पैराथाइरॉइड, पीनियल व पिटिटयूरी ग्लांड्स को परिपोषित करता है।

इस अवस्था में मत्स्यासन न करें | Contraindications of the Matsyasana

  • यदि आपको कम या उच्च रक्त-चाप कि समस्या है तो यह आसन न करें। माइग्रेन व इंसोम्निया ग्रसित लोगों को भी मत्स्यासन नही करना चाहिए। जिन लोगो को कमर या गर्दन में कुछ चोट है, उनको भी यह आसान नही करना चाहिए।

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