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Sunday, November 11, 2018

वीरभद्रासन क्या है?

वीरभद्रासन क्या है? | Introduction
वीरभद्रासन जिसको वॉरईयर पोज़ (Warrior Pose) के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन का नाम भगवान शिवके अवतार, वीरभद्र, एक अभय योद्धा के नाम पर रखा गया। योद्धा वीरभद्र की कहानी, उपनिषद की अन्य कहानियों की तरह, जीवन में प्रेरणा प्रदान करती है। यह आसन हाथों, कंधो ,जांघो एवं कमर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।
वीरभद्रासन कैसे करें | How to do Virabhadrasana
वीरभद्रासन सबसे  सुदृढ़ योग मुद्राओं में से एक है, यह योग के अभ्यास में सुदृढ़ता और सम्पूर्णता प्रदान करता है।
  • पैरों को ३ से ४ फुट की दूरी पर फैला कर सीधे खड़े हो जाएँ।
  • दाहिने पैर को ९०° और बाएँ पैर को १५° तक घुमाएँ।
  • जाँच करें- दाहिना एड़ी बाएँ पैर के सीध में रखें।
  • दोनों हाथों को कंधो तक ऊपर उठाएं, हथेलिया आसमान की तरफ खुले होने चाहिए ।
  • जाँच करें- हाँथ जमीन के समांतर हो।
  • साँस छोड़ते हुए दाहिने घुटने को मोड़े।
  • जाँच करें- दाहिना घुटना एवं दाहिना टखना एक सीध में होना चाहिए। घुटना टखने से आगे नहीं जाना चाहिए।
  • सर को घुमाएँ और अपनी दाहिनी ओर देखें।
  • आसन में स्थिर हो कर हाथों को थोड़ा और खीचें।
  • धीरे से श्रोणि(पेल्विस) को नीचे करें. एक योद्धा की तरह इस आसन में स्थिर रहें और मुस्कुराते रहें। नीचे जाने तक साँस लेते और छोड़ते रहें।
  • साँस लेते हुए ऊपर उठें।
  • साँस छोड़ते वक्त दोनों हाथों को बाजू से नीचे लाए।
  • बाएँ तरफ से इसे दोहराएं.( बाएँ पैर को ९०° एवं दाये को १५° तक घुमाये)

वीरभद्रासन से लाभ | Benefits of the Virabhadrasana

  • हाथ, पैर और कमर को मजबूती प्रदान करता है।
  • शरीर में संतुलन बढाता है, सहनशीलता बढती है।
  • बैठ कर कार्य करने वालों के लिए अत्यंत लाभदायक है।
  • कंधो के जकड़न में अत्यंत प्रभावशाली है।
  • कंधो के तनाव में तुरंत मुक्त करता है।
  • में साहस, कृपा एवं शांति की वृद्धि करता है।

वीरभद्रासन कीसावधानियाँ | Contraindications of the Virabhadrasana

  • अगर आप रीढ की हड्डी के विकारों से पीड़ित है य किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं तो चिकित्सक से परामर्श ले कर ही ये आसन करें।
  • उच्च रक्तचाप वाले मरीज़ यह आसन न करें।
  • वीरभद्रासन गर्भवती महिलाओ के लिए दुसरे और तीसरे तिमाही में अत्यन्त लाभदायक है। आप इस आसन को करते समय दीवार का सहारा लें। इस आसन को करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
  • अगर आप दस्तग्र्स्त हैं य हाल में ही इससे पीड़ित थे तो ये आसन न करें।
  • अगर आप को घुटनों में दर्द है य गठिया की बीमारी है तो घुटनों के पास सहारे का उपयोग करें।

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