यहाँ पर पश्चिम शब्द दिशा की ओर न संकेत कर पीछे की ओर के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।
पश्चिम नमस्कारासन या पीछे की ओर का नमस्कार, शरीर के ऊपरी भाग को मजबूत करता है और मुख्यतः भुजाओं और पेट पर काम करता है। इसे विपरीत नमस्कारासन भी कहते हैं।
पश्चिम नमस्कारासन की विधि | How to do Paschim Namaskarasana
- ताड़ासन से प्रारम्भ करें।
- अपने कंधो को ढीला रखे और अपने घुटनो को थोड़ा मोड़े।
- अपनी भुजाओं को पीछे की ओर ले जाएँ और उँगलियों को नीचे की ओर रखते हुए अपनी हथेलियों को जोड़े।
- सांस भरते हुए उँगलियों को रीढ़ की हड्डी की ओर मोड़ते हुए ऊपर करें।
- ध्यान रखे कि आपकी हथेलिया एक दूसरे से अच्छे से सटी हुई और घुटने हल्का सा मुड़े हुए रहे।
- इस आसन में रहते हुए कुछ साँसे लें।
- सांस छोड़ते हुए उँगलियों को नीचे कि ओर ले आये।
- भुजाओं को अपने सहज अवस्था में लें आये और ताड़ासन में आ जाएँ।
- पेट को खोलता है जिससे गहरी साँसे लेना आसान होता है।
- पीठ के ऊपरी हिस्से में खिचाव आता है।
- कन्धों का जोड़ और छाती की मांसपेशियों में खिचाव लाता है।
- निम्न रक्तचाप और भुजा या कन्धों में चोट वाले लोग इस आसन को करते समय सावधानी बरते।
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