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Tuesday, August 23, 2022

समय निकालकर करें योगासन नहीं होगी स्वास्थ्य संबंध कोई परेशानी

 उन लोगों के लिए जो कंप्यूटर पर लगातार आठ से दस घंटे काम करके कई तरह के रोगों का शिकार हो जाते हैं या फिर तनाव व थकान से ग्रस्त रहते हैं। निश्‍चित ही कंप्यूटर पर लगातार आँखे गड़ाए रखने के अपने नुकसान तो हैं ही इसके अलावा भी ऐसी कई छोटी-छोटी समस्याएँ भी पैदा होती है, जिससे हम जाने-अनजाने लड़ते रहते है। तो आओं जाने की इन सबसे कैसे निजात पाएँ।


नुकसान

स्मृति दोष, दूर दृष्टि कमजोर पड़ना, चिड़चिड़ापन, पीठ दर्द, अनावश्यक थकान आदि। कंप्यूटर पर लगातार काम करते रहने से हमारा मस्तिष्क और हमारी आँखें इस कदर थक जाती है कि केवल निद्रा से उसे राहत नहीं मिल सकती। देखने में आया है कि कंप्यूटर पर रोज आठ से दस घंटे काम करने वाले अधिकतर लोगों को दृष्टि दोष हो चला है। वे किसी न किसी नंबर का चश्मा पहने लगे हैं। इसके अलावा उनमें स्मृति दोष भी पाया गया। काम के बोझ और दबाव की वजह से उनमें चिड़चिड़ापन भी आम बात हो चली है। यह बात अलग है कि वह ऑफिस का गुस्सा घर पर निकाले। कंप्यूटर की वजह से जो भारी शारीरिक और मानसिक हानि पहुँचती है, उसकी चर्चा विशेषज्ञ अकसर करते रहे हैं।


बचाव

पहली बात कि आपका कंप्यूटर आपकी आँखों के ठीक सामने रखा हो। ऐसा न हो की आपको अपनी आँखों की पुतलियों को ऊपर उठाये रखना पड़े, तो जरा सिस्टम जमा लें जो आँखों से कम से कम तीन फिट दूर हो। दूसरी बात कंप्यूटर पर काम करते वक्त अपनी सुविधानुसार हर 5 से 10 मिनट बाद 20 फुट दूर देखें। इससे दूर ‍दृष्‍टि बनी रहेगी। स्मृति दोष से बचने के लिए अपने दिनभर के काम को रात में उल्टेक्रम में याद करें। जो भी खान-पान है उस पर पुन: विचार करें। थकान मिटाने के लिए ध्यान और योग निद्रा का लाभ लें।


योग एक्सरसाइज

इसे अंग संचालन भी कहते हैं। प्रत्येक अंग संचालन के अलग-अलग नाम हैं, लेकिन हम विस्तार में न जाते हुए बताते हैं कि आँखों की पुतलियों को दाएँ-बाएँ और ऊपर-नीचे ‍नीचे घुमाते हुए फिर गोल-गोल घुमाएँ। इससे आँखों की माँसपेशियाँ मजबूत होंगी। पीठ दर्द से निजात के लिए दाएँ-बाएँ बाजू को कोहनी से मोड़िए और दोनों हाथों की अँगुलियों को कंधे पर रखें। फिर दोनों हाथों की कोहनियों को मिलाते हुए और साँस भरते हुए कोहनियों को सामने से ऊपर की ओर ले जाते हुए घुमाते हुए नीचे की ओर साँस छोड़ते हुए ले जाएँ। ऐसा 5 से 6 बार करें ‍फिर कोहनियों को विपरीत दिशा में घुमाइए। गर्दन को दाएँ-बाएँ, फिर ऊपर-नीचे नीचे करने के बाद गोल-गोल पहले दाएँ से बाएँ फिर बाएँ से दाएँ घुमाएँ। बस इतना ही। इसमें साँस को लेने और छोड़ने का ध्यान जरूर रखें।

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