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Thursday, August 25, 2022

वैदिक काल (3000 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व)

 वैदिक काल में एकाग्रता का विकास करने के लिए और सांसारिक कठिनाइयों को पार करने के लिए योगाभ्यास किया जाता था। पुरातन काल के योगासनों में और वर्तमान योगासनों में बहुत अन्तर है। इस काल में यज्ञ और योग का बहुत महत्व था। ब्रह्मचर्य आश्रम में वेदों की शिक्षा के साथ ही शस्त्र और योग की शिक्षा भी दी जाती थी।


यस्मादृते न सिध्यति यज्ञो विपश्चितश्चन। स धीनां योगमिन्वति॥' ( ऋक्संहिता, मंडल-1, सूक्त-18, मंत्र-7)

अर्थात- योग के बिना विद्वान का भी कोई यज्ञकर्म सिद्ध नहीं होता।

स घा नो योग आभुवत् स राये स पुरं ध्याम। गमद् वाजेभिरा स न:॥' ( ऋग्वेद 1-5-3 )

अर्थात वही परमात्मा हमारी समाधि के निमित्त अभिमुख हो, उसकी दया से समाधि, विवेक, ख्याति तथा ऋतम्भरा प्रज्ञा का हमें लाभ हो, अपितु वही परमात्मा अणिमा आदि सिद्धियों के सहित हमारी ओर आगमन करे।

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