स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो के धर्म संसद में अपने ऐतिहासिक भाषण में योग का उल्लेख कर सारे विश्व को योग से परिचित कराया। महर्षि महेश योगी, परमहंस योगानन्द, रमण महर्षि जैसे कई योगियों ने पश्चिमी दुनिया को प्रभावित किया और धीरे-धीरे योग एक धर्मनिरपेक्ष, प्रक्रिया-आधारित धार्मिक सिद्धान्त के रूप में दुनिया भर में स्वीकार किया गया।
हाल के दिनों में, टी. कृष्णमाचार्य के तीन शिष्यों, बी.के.एस आयंगर, पट्टाभि जोइस और टी.वी.के देशिकाचार विश्व स्तर पर योग को लोकप्रिय बनाया है।
११ दिसम्बर सन २०१४ को भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में २१ जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था जिसे 193 देशों में से 175 देशों ने बिना किसी मतदान के स्वीकार कर लिया। यूएन ने योग की महत्ता को स्वीकारते हुए माना कि ‘योग मानव स्वास्थ्य व कल्याण की दिशा में एक सम्पूर्ण नजरिया है।’