हमारे खान-पान का सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है। बात अगर दिल की बीमारियों की करें तो इसका सीधा संबंध कोलेस्ट्रॉल से है। एक हालिया शोध से पता चला है कि अगर आप अपने शरीर में बढ़े कोलेटस्ट्रॉल के स्तर से परेशान हैं तो इसे कम करने के लिए आपको सैचुरेटेड फैट(संतृप्त वसा) की बजाय कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थों पर लगाम लगानी होगी।
अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के मुताबिक हमेशा से यही कहा जाता रहा है कि उन खाद्य पदार्थों को त्याग दें, जिनमें सैचुरेटेड फैट होता है। इसी वजह है जिन मरीजों का कोलेस्ट्रॉल बढ़ा होता है, उन्हें पैकेटबंद चीजें खाने से भी मनाही होती है, जैसे चिप्स या बेकरी उत्पाद लेकिन हमारे इस अध्ययन से यह पता चला है कि इंसान के शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाने में सैचुरेटेड फैट नहीं, बल्कि कार्बोहाइड्रेट का सबसे बड़ा हाथ है।
शोधकर्ता ने किया दावा-
दक्षिण फ्लोरिडा विश्विद्यालय के शोधकर्ता और प्राफेसर डेविड डायमंड कहते हैं हाई कोलेस्ट्रॉल का प्रकार यानी हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया बीमारी से जूझ रहे मरीजों को पिछले 80 सालों से ही ये सुझाव दिए जा रहे हैं कि वे अपने खान-पान में संतृप्त वसा की मात्रा को कम से कम कर दें, जो कि गलत साबित हो गया है। सच तो यह है कि दिल को बीमार होने से बचाना है तो कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन से दूरी बनानी होगी न कि सैचुरेटेट फैट यानी संतृप्त वसा से।
कम कार्ब आहार रखेगा सुरक्षित-
दिल से दोस्ती करनी है तो अपनी कार्ब डाइट को फॉलो करें क्योंकि शोध में यह बात सामने आई है कि जो लोग कम कार्बोहाइड्रेट युक्त चीजों का सेवन करते थे, उनमें दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा काफी कम था। कम कार्ब आहार सुरक्षित है, इसलिए शोधकर्ताओं ने इस पर जोर दिया है। कार्बोहाइड्रेट के सेवन से कोलेस्ट्रॉल का स्तर तेजी से बढ़ता है और शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है, जो बेशक दिल से जुड़ी बीमारियों को न्योता देती है। जिन लोगों को मधुमेह या मोटापे की समस्या है, उनके लिए भी ‘लो कार्ब डाइट’ मददगार साबित हो सकती है।
दिल को नहीं कोई खतरा-
जर्नल ऑफ द अमेरिकी कॉलेज और कार्डियोलॉजी में छपा यह शोध कहता है कि ऐसा कोई भी भोजन, जो रक्त में शर्करा के स्तर को बढ़ाता है जैसे कि, ब्रेड, आलू, मिठाई, कोल्ड ड्रिंक्स इनसे परहेज करने में ही भलाई है। इस अध्ययन में एक भी ऐसा सबूत नहीं मिला, जिससे यह बात पुख्ता हुई हो कि सैचुरेटेड फैट(संतृप्त वसा) की कमी या वृद्धि से मरीज के कोलेस्ट्रॉल का स्तर प्रभावित हुआ हो। शोधकर्ताओं ने कहा, लोग सैचुरेटेड फैट की मात्रा थोड़ी कम कर सकते हैं पर इसे पूरी तरह से बंद करने की कोई जरूरत नहीं है। बेफिक्र रहें क्योंकि यह आपको दिल की बीमारी की ओर नहीं ले जाएगा।
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